खासमखास

अवतारवाद पर विमर्श की अपार संभावनाएं 

“अवतारवाद” एक नई दृष्टि विधा : शोध द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव संकल्प प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मूल्य : 335 पृष्ट  :251 समीक्षा क्रमांक : 117 प्रथम संस्करण : 2023  अवतार से तात्पर्य देवता अथवा शक्ति का विभिन्न रूपों में अवतरण अथवा  प्रकट होना।  सामान्य तौर पर अवतार विभिन्न काल एवं Read more…

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कस्तूरी कुंडल बसे

कवि और लेखक अपने मन की बात नहीं कहता वह जन मन की बात कहता है। जिसे आमजन कहना तो चाहता है पर शब्दों या परिस्थितियों के अभाव में नहीं कह पाता लेकिन वही आदमी जब साहित्य की किसी धारा से जुड़ता है और उसे लगता है कि अरे यहां Read more…

खासमखास

प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है 

” प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है ” – यह पंक्ति है, हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा की, जिसको उन्होंने ” रंगों में रंग  … प्रेम रंग ” में समाविष्ट किया है | ऐसा उन्होंने क्यों लिखा ? इसलिए कि वे प्रेम भरे जीवनरूपी रंग में गहरे उतरे हैं Read more…

खासमखास

” छठिया ” की दस्तक कथा-जगत की बड़ी उपलब्धि 

कोई कितना भी इन्कार करे, लेकिन इस सत्य पर परदा डालना असंभव है कि भारत कहानी का जन्मदाता है | इस देश से ही कहानियों का आग़ाज़ हुआ, जो आगे चलकर लिपिबद्ध हुआ | यह बात दीगर है कि इस तथ्य पर आधुनिक दौर में भी मतभेद है कि कहानी Read more…

खासमखास

” जित देखूँ तित लाल ” – 21 पुस्तकों की तथ्यपरक समीक्षा 

आज जब पुस्तकों की समीक्षाएं प्रायोजित होने लगी हैं। पत्र-पत्रिकाएँ पैसे लेकर पुस्तकों पर समीक्षाएं करने/कराने लगी हैं, ऐसे में जित देखूँ तित लाल का प्रकाशन सुखद ही कहा जा सकता है। इस पुस्तक में इक्कीस पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं लेखक ने। रामपाल श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं, Read more…

खासमखास

 ” तमाशाई ” उपन्यास जगत की बड़ी उपलब्धि 

” तमाशाई ” दरअसल व्यंग्यात्मक उपन्यास है | दीर्घकाय न हुआ , तो क्या हुआ दमदार है | 98 पृष्ठीय इस उपन्यास को छोटे – छोटे कथानकों का मजमूआ भी कह सकते हैं , जिनकी अदायगी जमूरा और मदारी [ उस्ताद ] करते रहते हैं | संवाद इतने प्रभावकारी और Read more…

खासमखास

” शब्द – शब्द ” का रेशा – रेशा भेदने में सफलता 

राम पाल श्रीवास्तव जी का “शब्द-शब्द” काव्य संग्रह जैसे ही खोला तो पाया कवि ने सबसे पहले तो देश के विभिन्न प्रांतों के कवियों की खूबसूरत कविताओं के साथ और उनकी भरपूर जानकारी के साथ एक कोलाज बना दिया है। पहला शब्द आपको अपने मोहपाश में बांध लेता है। फिर Read more…

सामाजिक सरोकार

सृजनशील पत्रिकाओं में शीर्ष पर ” पूर्वापर ” 

वरिष्ठ साहित्य सेवी लक्ष्मी नारायण अवस्थी जब पिछले दिनों मेरे आवास पर पधारे , तो ” पूर्वापर ५९ ” [ त्रैमासिक ] का अंक मुझे अवलोकनार्थ इनायत किया | इसका प्रकाशन गोंडा से होता है | अच्छा लगा इसे सरसरी तौर पर देखकर , इसलिए भी कि गोंडा जैसे आंचलिक Read more…

खासमखास

” उम्मीद की लौ ” – जीवन के चटक रंगों से सराबोर 

” उम्मीद की लौ ” मुझे काफ़ी समय पहले ही प्राप्त हो गई थी , लेकिन कुछ अपरिहार्य व्यस्तता के चलते इसे ठीक से न पढ़ सका और न ही इस बाबत सोच से बढ़कर कुछ अमली कोशिश ही कर सका | इधर के दिनों में इसको पढ़ लिया है Read more…

देश-देशांतर

ओ, ताना रिक्शा ! तू गया, सामंतवाद क्यों नहीं ले गया… अलविदा

लगभग 35 वर्ष पहले जब मैं कोलकाता गया था बीबीसी के एक चुनावी कवरेज ( सर्वे ) का हिस्सा बनने, तब तक यह महाशहर अपने असली वजूद में था। उस वक्त कहा जाता था कि जिसने हाथ रिक्शा नहीं देखा और उस पर सवारी नहीं की, उसने कोलकाता का असली Read more…

देश-देशांतर

गीत जो मर्सिया बन जाता है !

चीन में जब से गिद्ध आए कबूतर नहीं उड़े ! मगर क्यों ? सबकी आंखें बंद हैं सबकी हरकतें बंद हैं उन्हें नहीं सुनाई पड़ती सिसकती आवाज़ें नहीं महसूस होती क्रूर पीड़ा निचुड़ती उम्मीदें बिछड़ती सांसें ! कोई जीवंतता नहीं मगर चंगेज़ ज़िंदा है भेड़ियों के भेष में दाल – Read more…

खासमखास

तुलसीपुर की रानी लक्ष्मीबाई !

ये हैं तुलसीपुर की रानी ऐश्वर्य राज राजेश्वरी देवी, जिन्हें तुलसीपुर / बलरामपुर और कभी गोंडा की रानी लक्ष्मीबाई कहा जाता है। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ाए। लोक प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृत लाल नागर ने 1857 के ग़दर पर आधारित अपने ऐतिहासिक उपन्यास में लिखा Read more…

खासमखास

प्रेमचंद क्या थे सचमुच ?

31 जुलाई 1880 ई. को महान साहित्यकार प्रेमचंद का जन्म वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था। उनकी साहित्य सेवा अद्वितीय है और उनकी भारतीयता कालजयी ! कुछ लोग उन्हें अपने कृत्रिम ख़ानों में फिट करने की कोशिश करते हैं , जो बेमानी है। उनका साहित्य विराट है। Read more…