संपादक की बात 
क्या आज पत्रकारिता अपने उद्देश्यों से भटक नहीं गई है ? क्या यह दिनानुदिन स्तरहीन नहीं हो गई है ? क्या आज के पत्रकारों का वही मान – सम्मान है , जो पहले हुआ करता था ? क्या आज के बहुत – से  पत्रकार ख़ुद अपने हाथों अपनी इज्ज़त नहीं गवां रहे हैं और निर्लज्ज चाटुकारिता नहीं कर रहे हैं ? मेरी दृष्टि में इन सबका उत्तर ” हाँ ” में है | पिछले लगभग चार दशक से पत्रकारिता से मेरी जो अविरल संलग्नता है , उसके अनुभवों ने मुझे इसके लिए प्रेरित किया कि पत्रकारिता के स्वाभाविक उन्नयन हेतु कुछ न कुछ प्रयास अवश्य किया जाना चाहिए |
इसी का परिणाम ” भारतीय संवाद ” [ मीडिया पोर्टल ] है | इसके द्वारा निःस्वार्थ – निर्भीक भाव से जनसमस्याओं से सीधे जुड़कर पत्रकारिता का मौलिक धर्म निभाने की अनवरत कोशिश की जाएगी | इस क्रम में आपसे अनुरोध है कि इस पोर्टल पर प्रकाशित सामग्री में यदि कोई मानवीय भूल / तथ्यात्मक त्रुटि हो , तो अवश्य सूचित करें , ताकि अपेक्षित सुधार किया जा सके |
कुछ अपने विषय में भी :  1980 से पत्रकारिता की शुरुआत | कुछ आंचलिक साप्ताहिक समाचार पत्रों से जुड़ाव के बाद बलरामपुर से प्रकाशित मासिक पत्रिका ” परिवेश ” और ” एकता संदेश ” [ पाक्षिक ] का प्रधान संपादक की हैसियत से संपादन | साथ ही कुछ समय तक ” नवभारत टाइम्स ” , ” नवजीवन ” और ” साकेत शोभा ” [ हिंदी दैनिक , फैजाबाद ] के बलरामपुर स्थित संवाददाता के तौर पर कार्य |  1986 में महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ , वाराणसी से ” एम . जे . ” [ मास्टर आफ जर्नलिज्म ] उत्तीर्ण करने के बाद दैनिक ”स्वतंत्र भारत ” और ” The Pioneer” के स्टाफ रिपोर्टर के यौर पर कार्य | फिर हिंदी दैनिक ” आज ” से संलग्नता ,  जिसके वाराणसी , पटना और धनबाद संस्करणों में उप संपादक और मुख्य उप संपादक की हैसियत से कई वर्षों तक कार्यरत | इससे पूर्व वाराणसी से प्रकाशित श्री राज नारायण [ भूतपूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ] के समाचार – पत्र ” जनमुख ” में कुछ महीने तक उपसंपादक के रूप में कार्य |  इसके पश्चात ” आज ” से जुड़ने तक ” पराडकर संदेश ” [ हिंदी साप्ताहिक , वाराणसी ] में मुख्य संपादक के रूप में सेवाएं दीं | ” परिवेश ” , ” एकता  संदेश ” की भांति ” पराडकर संदेश ” का प्रकाशन स्वप्रयास से संभव हो पाया था |

EDITOR – DR RAM PAL SRIVASTAVA
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