खासमखास

अदब की ग़ज़ब दास्तान ” बलरामपुर से कंजेभरिया “

लब्ध प्रतिष्ठ लेखक पवन बख़्शी जी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ” बलरामपुर से कंजेभरिया ” पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | पुस्तक कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक से लेकर समसामयिक घटनाओं को समाहित किए हुए है | वैसे यह मूलतः बलरामपुर के इतिहास की परतें खोलती है और यहां की विशेषकर साहित्यिक, Read more…

खासमखास

” छठिया ” की दस्तक कथा-जगत की बड़ी उपलब्धि 

कोई कितना भी इन्कार करे, लेकिन इस सत्य पर परदा डालना असंभव है कि भारत कहानी का जन्मदाता है | इस देश से ही कहानियों का आग़ाज़ हुआ, जो आगे चलकर लिपिबद्ध हुआ | यह बात दीगर है कि इस तथ्य पर आधुनिक दौर में भी मतभेद है कि कहानी Read more…

खासमखास

” जित देखूँ तित लाल ” – एक गंभीर वैचारिक स्वर

पुस्तक :जित देखूं तित लाल द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशन: शुभदा बुक्स शीर्षक समीक्षा का शाब्दिक अर्थ है सम्यक् परीक्षा, अन्वेषण । पुस्तक समीक्षा में किसी पुस्तक की सम्यक् परीक्षा और विश्लेषण किया जाता है। इस परीक्षा और विश्लेषण से पाठक को पुस्तक विशेष के विभिन्न पहलुओं की जानकारी Read more…

खासमखास

” शब्द – शब्द ” – एक गंभीर वैचारिक काव्य – आंदोलन 

पुस्तक: शब्द-शब्द द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव ” अनथक “ प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन “मेरी कविता आयास रचित नहीं अनुभूत होती है दुःख सुख ,वेदना ,और संवेदना की प्रसूत होती है” उक्त पंक्तियों से अपनी पुस्तक “शब्द-शब्द” का आरम्भ करने वाले, राम पाल श्रीवास्तव जी, साहित्य की विविध विधाओं में अपने Read more…

देश-देशांतर

शिनाख़्त का बहाना 

टेम्स का हरित वर्णी वेस्ट मिनिस्टर ब्रिज गवाह है सदियों का हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की हरित सीटों की भाँति हमारे इनहितात का फिर भी सच है – लंदन में बसता है भारत पाकिस्तान, चीन बाँग्लादेश और जापान भी ‘ मिनी फॉर्म ‘ पेश करते इनके ग़ोशे इनके लघुरूप याद दिलाते Read more…

खासमखास

राम – प्रेम

हमारा राम – प्रेम अगाध प्रेम भक्ति हमारी शक्ति हमारी आसक्ति हमारी आप आदर्श हैं मर्यादा पुरुषोत्तम हैं करते हैं संहार असत का मिथ्या का तभी तो हुआ रावण – वध आपके कर – कमलों से आप ही का हम अनुसरण किए जाते हैं – मेघनाथ कुंभकर्ण और रावण का Read more…

साहित्य

दो कविताएं

( 1 ) तारीख़ ……… हर दिन की नई सुबह नई तारीख़ लाती थी नई आशाओं के साथ सुबह होते ही अपना चेहरा दिखाती थी कभी कैलेंडर तो कभी अख़बार में टी वी और रेडियो में सुबह से देर रात तक वही तारीख़ … परत दर परत ….. एक दिन Read more…

खासमखास

वो तो मेरा नहीं !

वे चकित होकर बोलीं – ” वो तो मेरा नहीं मैंने तो जमा किए थे सिर्फ़ पांच सौ रुपए और आप कहते हैं छह सौ दस लो।” बैंक का क्लर्क हुआ परेशान शायद उसने नहीं देखा था ऐसा इन्सान कहने लगा – ” मां जी, ये एक सौ दस रुपए Read more…

देश-देशांतर

हाशिमपुरा – जो लाश गिरी वो मेरी ही तो थी …

दंगे में जो लाश गिरी वो मेरी ही तो थी, हम हिंदू मुस्लिम का बहाना कब तलक बनाते ? – अनथक पूर्व पुलिस अफसर और हिंदी साहित्यकार विभूति नारायण राय की पुस्तक ” हाशिमपुरा 22 मई ” पढ़ने को मिली। इस पुस्तक पर सबसे ऊपर लगभग 36 प्वाइंट में यह Read more…

सामाजिक सरोकार

” हम एक हैं ” और रहेंगे

आज देश के पहले दलित आई ए एस डॉक्टर माता प्रसाद का जन्मदिन है … शत शत नमन।11 अक्तूबर 1925 को उनका जन्म जौनपुर, उत्तर प्रदेश में जगत रूप राम के यहां हुआ। कुछ संदर्भों में उनका 1924 में पैदा होना बताया गया है, जो गलत है।  दलित साहित्य के Read more…

सामाजिक सरोकार

दो कविताएं —

( 1 ) वर्षा का गांव …………… जैसलमेर से आगे मरुस्थल का गांव तपती दुपहरी ठहरते नहीं पांव दूरस्थ दिशा में रेतीले खंडहर में गहराता पतझड़ स्थल मरुस्थल वर्षा का गांव। ….. वाईपेन से आगे जलनिधि की छांव उगते पहाड़ गिरती बर्फ प्रचंड ग्रीष्म नौका का पिघलना तुषार – कण Read more…

धर्म

हे राम !

हे राम ! सर्वशक्तिमान दयावान सर्वाधार निर्विकार अजर अमर जीवंत अनंत न्यायकारी सर्वसत्ताधारी सर्वव्यापक व्यथानाशक ” ऐसे घट – घट राम हैं दुनिया जानत नाहिं “ क्या कबीर ने जाना तुलसी का मर्म ? सच है – मेरे राम अवर्णनीय हैं असीम हैं आदि हैं अंत हैं अगणनीय इतने कि… Read more…

सामाजिक सरोकार

” स्पर्शी ” का स्नेहिल स्पर्श

.” स्पर्शी ” का दूसरा पुष्प हस्तगत हुआ। यह साहित्यिक पत्रिका है, जिसके संपादक हैं अतुल कुमार शर्मा और सह संपादक हैं दिलीप कुमार पांडेय। दोनों प्रतिभावान कवि भी हैं। पत्रिका उत्तर प्रदेश के संभल से प्रकाशित होती है। पत्रिका में इसकी अवधि का उल्लेख नहीं। संभवतः वार्षिक है, लेकिन Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

हम मरि जाब, हमरे लिये कोऊ कुछू नाही करत हय !

एक दिन अवधी महारानी ने शोकाकुल होकर मुझसे कहा, ” तू लोग काहे हमार दुरगत करत जात हव ? हमरे लिये कोऊ कुछू नाही करत हय … ऐसन मा हमरे मरैम केत्ती देर हय।” मैंने कहा कि आपने अच्छा किया। हमें ध्यान दिलाया। आप ठीक कहती हैं। हम लोगों ने Read more…

सामाजिक सरोकार

शब्द – परिधान

शब्द अपने भाव और अर्थ कैसे बदल लेते हैं ? कहां से चलकर कहां पहुंच जाते हैं ? इसी केंद्रीय विषय पर पेश हैं दो भिन्न शिल्प सौंदर्य में दो काव्य रचनाएं – ( 1 ) शब्द – परिधान ………………… कितना सुंदर मुखड़ा तेरा कितनी बेहतर भाषा है जैसा सोचो Read more…