हे राम !
सर्वशक्तिमान
दयावान
सर्वाधार
निर्विकार
अजर
अमर
जीवंत
अनंत
न्यायकारी
सर्वसत्ताधारी
सर्वव्यापक
व्यथानाशक
” ऐसे घट – घट राम हैं दुनिया जानत नाहिं “
क्या कबीर ने जाना
तुलसी का मर्म ?
सच है –
मेरे राम अवर्णनीय हैं
असीम हैं
आदि हैं
अंत हैं
अगणनीय
इतने कि…
स्वयं भी क़ासिर हैं
बयान करने में !
” राम न सकहिं नाम गुन गाही “
क्योंकि
अनुपम/ अप्रतिम
निराली
महिमा है
 राम की
नाम की
मर्म को समझना है ज़रूरी
” दसरथ सुत तिहुं लोक बखाना,
राम नाम का मरम है आना ।”
…..
हे राम !
बहुत सुना है मैंने
तेरे सद् राज्य का बखान
बहुतों की प्रतीक्षा
कोटि – कोटि के अरमान
हम भी हैं मुंतज़िर
भारत के देश में
तेरे राज्य के
कब आएगा वह
जब साकार होंगे सपने
हमारे भी
और
राष्ट्रपिता के भी
जिनका राज्य बना भी
मगर तुम न आए भगवन् !
तुम्हारा राज्य नहीं आया
सच है
कोई किसी का बदल नहीं
मगर
प्रयास न हों तो
कोई नतीजा नहीं …
फिर भी तेरा नाम
जपा जाता था/ है
शासन
प्रशासन में भी
जपा जाना चाहिए , चाहे …
आप हमारे ही लिए तो हुए
निराकार से
साकार !
…..
हे राम !
तेरे राज्य के प्रति हम आशान्वित हैं
प्रतीक्षारत हैं
शिद्दत से
सदियों से
बताइए भगवन् !
कब आएगा वह युग ?
वह दौर
जब शासक होंगे
अवाम के सच्चे हितैषी
अवाम भी होंगे
त्रेता युग जैसे
सब भाई – भाई बन जाएंगे
मनु – पुत्र बन जाएंगे
हाबील – काबील नहीं
नफ़रत के क़िले को ढा देंगे
सच्चे मानुष बन जाएंगे
दिव्यांग पहाड़ चढ़ जाएंगे
सर्वत्र होगी यह समानता
सबमें जागेगी सह महानता
जब होगी वसुधा पुष्ट, उर्वर
धन – धान्य से भरपूर
न होगी किसी की अकाल मृत्यु
न हिंसकों का होगा डर
न रोगादि का होगा डर
नर – नारी होंगे एक समान
सभी करेंगे इक दूजे का सम्मान
कोई पीछे न रह जाएगा
हर अन्याय मिट जाएगा
जन – सुखकारी शासन में
जग मंगलमय हो जाएगा
सब स्वर्गमय हो जाएगा
बोलो राम !
वह युग कब आएगा ?
 – राम पाल श्रीवास्तव ” अनथक “
17 अक्तूबर 2022

कृपया टिप्पणी करें