खासमखास

” ईश्वर, अल्लाह एक है फिर क्यों यह कोहराम ?”

कविता कवि की शान है, हालत उससे जान, सुंदर स्वर्ण कविता की, यही होत पहचान | – आर के रस्तोगी वास्तव में दोहा ने ही हिंदी कविता को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | यह कम शब्दों में बड़ी बात कहने की प्रभावकारी विधा है | अर्थात, गागर Read more…

खासमखास

मुस्लिम समाज की समस्याओं पर सम्यक दृष्टि

इस समय मेरे हाथ में लेखक-पत्रकार रामपाल श्रीवास्तव की सद्यः प्रकाशित पुस्तक “ सत्ता के गलियारों में सफ़ेद हाथी” है। यह पुस्तक भारतीय मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक, राजनीति समस्याओं पर आधारित 1983 से 2016 के बीच लिखे 51 आलेखों का संग्रह है। हालांकि यह सच है कि आज किसी भी Read more…

खासमखास

” शब्द-शब्द ” का प्रखर कवि अंतस 

” मेरी कविता आयास रचित नहीं, अनुभूत होती है, दुःख-सुख, वेदना और संवेदना की प्रसूत होती है, जब जब भी जुल्मोसितम बरपा होता है इंसानियत पर, कवि-अंतस के बृहत शब्द-संसार में स्वतः स्फूर्त होती है। “ “‘शब्द-शब्द’ केवल संजोये हुए शब्द नहीं, अपितु बीते लगभग दो दशकों की वेदना, समवेदना, Read more…

खबरनामा

मन-मस्तिष्क को झिंझोड़ते हुए

“बचे हुए पृष्ठ ” द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव विधा : आलेख शुभदा बुक्स द्वारा प्रकाशित पृष्ठ संख्या : 181 मूल्य : 320.00 समीक्षा क्रमांक :112 समीक्षा का ब्लॉग लिंक : https://atulyakhare.blogspot.com/…/Bache-Huye-Prisht-By… समय समय पर उपजी भिन्न भिन्न राजनीतिक परिस्थितियों एवं उनसे संबद्ध ज़ुदा जुदा परिवेशों पर एवं विभिन्न ज्वलंत Read more…

खासमखास

अंधेरे के ख़िलाफ़ का विद्रोही स्वर

‘अवतारवाद : एक नई दृष्टि’ जैसी चर्चित पुस्तक के लेखक रामपाल श्रीवास्तव जी की सद्य: प्रकाशित कविता संग्रह “अंधेरे के ख़िलाफ़” इस समय मेरे हाथ में है।”अंधेरे के ख़िलाफ़” लेखक, कवि का यह दूसरा संकलन है। पहली पुस्तक “शब्द-शब्द” की कविताएं अध्यात्म से ओतप्रोत थीं तो “अंधेरे के ख़िलाफ़” जैसा Read more…

खासमखास

लंबे अनुभव और समग्र दृष्टि के द्योतक हैं ‘बचे हुए पृष्ठ’

पत्रकारिता के लिए यह सबसे दुःखद समय है। या तो आप वो लिखें और बोलें जो सत्ता में बैठे लोग चाहते हैं या फिर पुलिसिया हथकंडे का शिकार होकर जेल जाने के लिए तैयार रहिए। यह बुराई किसी एक सरकार की नहीं बल्कि वर्तमान समय की है। सत्ता में कौन है Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

“अँधेरे के ख़िलाफ़ ” एक सार्थक पहल

“अँधेरे के ख़िलाफ़ ” काव्य संग्रह द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित पृष्ट संख्या: 128 मूल्य : Rs. 200.00 “ ख़ाबे हस्ती मिटे तो हमारी हस्ती हो , वरना हस्ती तो ख़ाब ही की है” जब जीवन की विसंगतियाँ और त्रासद स्थितियाँ सामने आती हैं Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

“अँधेरे के ख़िलाफ़”-जैसे मैंने समझा

वरिष्ठ लेखक आदरणीय राम पाल श्रीवास्तव जी का काव्य संग्रह “अँधेरे के ख़िलाफ़” कुछ दिनों पहले प्राप्त हुई थी. समय अभाव के कारण पढ़ न सका. इधर कुछ समय मिला तो पूरी किताब पढ़ डाली. किसी पुस्तक की समीक्षा लिखना मेरे लिए अत्यंत दुरूह कार्य है. किसी भी लेखक की Read more…

खासमखास

” बचे हुए पृष्ठ ” – बुराई और अव्यवस्था को आईना 

वरिष्ठ पत्रकार – लेखक डॉ. रामपाल श्रीवास्तव की सद्य: प्रकाशित पुस्तक “बचे हुए पृष्ठ” इक्यावन आलेखों का संग्रह है जिसे शुभदा बुक्स, साहिबाबाद ने प्रकाशित किया है। सर्वविदित है कि रामपाल श्रीवास्तव नवभारत टाइम्स, नवजीवन, स्वतन्त्र भारत, आज, The Pioneer, साकेत शोभा जैसे मशहूर अखबारों से लम्बे समय तक जुड़े Read more…

खासमखास

अदब की ग़ज़ब दास्तान ” बलरामपुर से कंजेभरिया “

लब्ध प्रतिष्ठ लेखक पवन बख़्शी जी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ” बलरामपुर से कंजेभरिया ” पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | पुस्तक कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक से लेकर समसामयिक घटनाओं को समाहित किए हुए है | वैसे यह मूलतः बलरामपुर के इतिहास की परतें खोलती है और यहां की विशेषकर साहित्यिक, Read more…

खासमखास

अतीत के नए पृष्ठ खोलती ” स्मृतियों के झरोखों से तुलसीपुर “

अमृतब्रह्म प्रकाशन, प्रयागराज से सद्यः प्रकाशित वरिष्ठ लेखक एवं विविध विधाओं के साधक पवन बख़्शी जी की कृति ” स्मृतियों के झरोखों से तुलसीपुर ” कई दृष्टियों से एक बेहतरीन पुस्तक है | चल रही रिवायत से परे इस पुस्तक में कोई विषय-सूची नहीं पाई जाती ! शाहरुख़ साहिल तुलसीपुरी Read more…

खासमखास

नाग संस्कृति संसार के आश्चर्यों में शुमार !

आस्था प्रकाशन, जालंधर से प्रकाशित अंग्रेज़ी पुस्तक ” Shri Vasuki Nag and Nag Cultire ” पिछले दिनों हस्तगत हुई | 112 पृष्ठीय इस पुस्तक के लेखक हैं – धर्मकांत डोगरा और चंद्रकांत शर्मा | इसमें आठ अध्याय हैं, जो सभी प्रासंगिक और विषयानुकूल हैं | पहले में परिचय है, जिसमें Read more…

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प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है 

” प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है ” – यह पंक्ति है, हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा की, जिसको उन्होंने ” रंगों में रंग  … प्रेम रंग ” में समाविष्ट किया है | ऐसा उन्होंने क्यों लिखा ? इसलिए कि वे प्रेम भरे जीवनरूपी रंग में गहरे उतरे हैं Read more…

खासमखास

” छठिया ” की दस्तक कथा-जगत की बड़ी उपलब्धि 

कोई कितना भी इन्कार करे, लेकिन इस सत्य पर परदा डालना असंभव है कि भारत कहानी का जन्मदाता है | इस देश से ही कहानियों का आग़ाज़ हुआ, जो आगे चलकर लिपिबद्ध हुआ | यह बात दीगर है कि इस तथ्य पर आधुनिक दौर में भी मतभेद है कि कहानी Read more…

खासमखास

” अब हुई न बात ” जो पहले कभी न हुई

हिंदी में लघुकथाकार के रूप में प्रतिष्ठित डॉ. जवाहर धीर का लघुकथा संग्रह ” अब हुई न बात ” पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | डॉ. धीर पिछले कई दशकों से लेखन में सक्रिय हैं | इनकी कई रचनाएँ ख़ासकर लघुकथाओं को कई स्थापित पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ चुका हूँ, जो Read more…