
शब्द अपने भाव और अर्थ कैसे बदल लेते हैं ? कहां से चलकर कहां पहुंच जाते हैं ? इसी केंद्रीय विषय पर पेश हैं दो भिन्न शिल्प सौंदर्य में दो काव्य रचनाएं –
शब्द अपने भाव और अर्थ कैसे बदल लेते हैं ? कहां से चलकर कहां पहुंच जाते हैं ? इसी केंद्रीय विषय पर पेश हैं दो भिन्न शिल्प सौंदर्य में दो काव्य रचनाएं –
राम पाल श्रीवास्तव जी का उपन्यास ‘त्राहिमाम युगे युगे’ प्राप्त हुआ है। ‘त्राहिमाम युगे युगे’ एक संस्कृत वाक्यांश है। जिसका अर्थ है– “हे प्रभु, हर युग में मेरी रक्षा करो।” ‘त्राहिमाम युगे युगे’ न्यू वर्ल्ड Read more…
राम पाल श्रीवास्तव जी की समीक्षात्मक पुस्तक ‘नई समीक्षा के सोपान’ प्राप्त हुआ है। जिसमें मेरे काव्य संग्रह ‘एक मुश्किल समय में’ पर भी उन्होंने एक आलेख लिखा है। मैं उनका तहेदिल से शुक्रिया अदा Read more…
वरिष्ट लेखक पत्रकार रामपाल श्रीवास्तव जी की नवीनतम पुस्तक समीक्षा संग्रह “नई समीक्षा के सोपान ” जिनमें 31 पुस्तकों की ख्यातप्राप्त रचनाकारों द्वारा रचित कविता संग्रह, कहानी संग्रह और उपन्यास शामिल है, की बहुत ही Read more…