खासमखास

” शब्द-शब्द ” का प्रखर कवि अंतस 

” मेरी कविता आयास रचित नहीं, अनुभूत होती है, दुःख-सुख, वेदना और संवेदना की प्रसूत होती है, जब जब भी जुल्मोसितम बरपा होता है इंसानियत पर, कवि-अंतस के बृहत शब्द-संसार में स्वतः स्फूर्त होती है। “ “‘शब्द-शब्द’ केवल संजोये हुए शब्द नहीं, अपितु बीते लगभग दो दशकों की वेदना, समवेदना, Read more…

देश-देशांतर

हाशिमपुरा – जो लाश गिरी वो मेरी ही तो थी …

दंगे में जो लाश गिरी वो मेरी ही तो थी, हम हिंदू मुस्लिम का बहाना कब तलक बनाते ? – अनथक पूर्व पुलिस अफसर और हिंदी साहित्यकार विभूति नारायण राय की पुस्तक ” हाशिमपुरा 22 मई ” पढ़ने को मिली। इस पुस्तक पर सबसे ऊपर लगभग 36 प्वाइंट में यह Read more…

साहित्य

” मेले में लड़की ” – महिलाओं की बदहाली का सजीव चित्रण

”मेले में लड़की’ के विमोचन की खबर मेरे खबर मात्र नहीं थी ….. सदियों की वेदना , घुटन , उपेक्षा , तिरस्कार और दर्द को शब्दों के द्वारा जानने – समझने की जिज्ञासा और कोशिश कि एक कड़ी थी, वह भी इन्हें यथार्थ  रूप में प्रस्तुत करनेवाली शख्सियत के कहानी Read more…