यह उपन्यास एक नए प्रयोग के कारण अन्य भारतीय उपन्यासों से अलग है। उपन्यास में शीर्षक देना तथा छोटी-छोटी घटनाओं को जोड़ते हुए अध्यायों का शक्ल देते हुए समुचित आकार ग्रहण करना इस उपन्यास की विशेषता है।
ऐसा प्रयोग प्रायः पाश्चात्य साहित्य में देखा जाता है। लेकिन सच यह भी है कि परंपरागत भारतीय उपन्यास सा रस यहाँ नहीं मिलता। इसकी क्रमबद्धता टूटती-सी दिखती है। गहन मनोवैज्ञानिकता व वैचारिक संवेदनाओं का अभाव दिखता है।
यद्यपि इसमें समय-समाज की कई ज्वलंत विसंगतियों पर ध्यान आकर्षित कराया गया है, जो यथार्थ तो है लेकिन रोचकता का अभाव भी है। उर्दू, फारसी,अरबी शब्दों के अत्यधिक प्रयोग से भी इसमें दुरूहता व जटिलता आ गयी है, जिससे रस-प्रवाह बाधित है।
वैसे यह प्रयोग स्वागतेय है। नये प्रयोग से गुजरते हुए पाठकों को रोमांच का अनुभव होगा। लीक से हट कर लेखक ने जोखिम उठाया है, जो पाठकों को नए स्वाद से अवगत कराएगा, ऐसा मेरा विश्वास है। मुझे विश्वास है, इसे पाठकों/आलोचकों का स्नेह मिल सकेगा। जयंति ते सुकृतनः।
साहित्य सिलसिला "- साहित्य जगत को नायाब तोहफ़ा चर्चित उपन्यासकार डॉक्टर अजय शर्मा के सुसंपादन में प्रकाशित पत्रिका " साहित्य सिलसिला " का अक्टूबर 2023 अंक मेरे पास कुछ अधिक ताखीर से मिला।…
इब्ने बतूता या बतूती ? इस पुस्तक पर नज़र पड़ी। यह उपन्यास है, लेकिन शीर्षक का मतलब क्या है, शायद लेखक को भी पता नहीं। इब्न बत्तूता अरब यात्री था,…
"त्राहिमाम युगे युगे"- ज्वलंत विसंगतियों का आईना त्राहिमाम युगे युगे (उपन्यास)लेखक - राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशक -न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन नई दिल्ली प्रथम संस्करण -2024मूल्य -425 रुपए यह चिरंतन सत्य है कि मृत्यु का निर्धारण…
गागर में सागर है " शंख में समंदर " वरीय उपन्यासकार डॉ. अजय शर्मा का सद्यः प्रकाशित उपन्यास " शंख में समंदर " दरअसल गागर में सागर है और मुझे पंजाब के अग्रणी हिंदी…
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त्राहिमाम युगे-युगे : एक प्रयोगात्मक उपन्यास
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