खासमखास

” आधार ” पर वार क्यों ?

आधार की अनिवार्यता के ख़िलाफ़ अब भाजपा के नेता भी आवाज़ उठाने लगे हैं | भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आधार पर तीखी टिप्पणी करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। स्वामी ने यह भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आधार की अनिवार्यता Read more…

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राशन घोटालों के सामने बड़ी लाटरियाँ भी फेल

हमारे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भ्रष्टाचार से पुराना संबंध है | यह प्रणाली पी डी एस नाम से मशहूर है | यह प्रणाली अभाव की स्थिति में खाद्यान्नों का प्रबंध करने एवं उन्हें उचित मूल्य पर वितरण के लिए तैयार की गई थी | 1992 तक यह प्रणाली Read more…

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रोहिंग्या क्यों दुश्मन हैं हमारे ?

रोहिंग्या समस्या के शीघ्र हल के लिए विभिन्न स्तरों पर जो प्रयास किए जा रहे हैं , उनकी जिंतनी सराहना और प्रशंसा की जाए , कम है , क्योंकि यह पूरी तरह एक मानवीय समस्या है | सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक रोहिंग्याओं को वापस न भेजा जाए | दूसरी ओर संयुक्त Read more…

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मंदी और विकास साथ – साथ नहीं चल सकते

मोदी सरकार आज अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर कठिन परीक्षा के दौर से गुज़र रही है | 2014 में सत्तासीन हुई मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां आज सवालों के घेरे में हैं | सवाल सिर्फ़ प्रतिपक्ष या अन्य तटस्थ देशी – विदेशी संस्थाएं ही नहीं उठा रही हैं , अपितु Read more…

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पेट भरेगा , तभी घर में ठहर पाएगी जनता

दुनियाभर में कुपोषित लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश में अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुपोषण दूर करने हेतु अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं , मगर नतीजा निराशाजनक ही है | हमारा देश आज भी कुपोषित और भूखा है। ‘ मिड डे मील ‘ की Read more…

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नेपाल के पास भारत को तबाही व बर्बादी में डालने का ‘ ब्रह्मास्त्र ‘ !

 नेपाल के पास भारत को ‘ जल – प्रलय ‘ और ‘ जल – संकट ‘ में गिरफ्तार करने का रिमोट कंट्रोल है ! अभी कुछ सप्ताह पहले  नेपाल से एकाएक नौ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद स्थिति और भी खतरनाक हो गई थी। बाराबंकी सहित एल्गिन चरसरी Read more…

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काबू में क्यों नहीं आ रही है देश की गरीबी ?

हमारे देश में गरीबी के आंकडे बड़े भयावह हैं | यहाँ की 22 फ़ीसद आबादी गरीबी – रेखा के नीचे गुज़र – बसर कर रही है | 265 मिलियन लोग बेहद गरीब हैं | एक प्रमुख न्यूज़ चैनल द्वारा प्रसारित आंकड़ों के अनुसार , इन गरीबों में 142 मिलियन लोग Read more…

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कितना बिगाड़ा हमने देश को ?

हमारे देश की गणना बड़े लोकतांत्रिक देशों में होती है , लेकिन यह भी सच है कि जनसमस्याओं को हल करने में हमने बड़ी कोताही बरती है | ऐसी अनेक गंभीर समस्याएं हैं जो देश की आज़ादी के बाद पिछले सात दशकों से अनसुलझी अवस्था में हैं | इसका मुख्य Read more…

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जीवन जीने का नाम , हर नई सुबह का यही पैगाम 

  आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं अति चिंताजनक कर्ज न चुका पाने पर साहूकारों ने कहा कि पत्नी और बेटी को हमें सौंप दो। इससे अनिल अग्रवाल को गहरा सदमा लगा और उनके पूरे परिवार ने ज़हर खाकर मौत को गले लगा लिया। यह मामला जालंधर [पंजाब] के भोगपुर थाने का Read more…

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” सुशासन बाबू ” ने जो किया ठीक किया 

बिहार में नाटकीय ढंग से निष्ठा – परिवर्तन हो गया ! इतनी आसानी से मानो कुछ हुआ ही न हो , लेकिन यह भी उतना ही सच है कि इतने  ‘ उत्तम अवसरवाद ‘ की ऐसी मिसाल आसानी से नहीं मिल सकती | लालू प्रसाद के दोनों बेटे ठिकाने लग Read more…

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निजता के अधिकार का बड़ा सवाल

आधार कार्ड की अनिवार्यता के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विगत 19 जुलाई को कहा कि निजता का अधिकार ऐसा अधिकार नहीं हो सकता जो पूरी तरह मिले। सरकार के पास कुछ शक्ति होनी चाहिए कि वह इस पर तर्कसंगत बंदिश लगा सके।निजता का अधिकार संविधान के Read more…

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माँ का अपमान करनेवाले कुपूतो ! जरा संजीदगी से सोचो तो …..

माँ की महत्ता इतनी बड़ी है कि उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता | वह सृष्टिदायिनी है | वही पहली बार हमारे स्कूल की शुरुआत घर में ही करती है | हमारे जीवन की सबसे पहली और प्यारी शिक्षक होती है। वह हमें जीवन का सच्चा दर्शन और Read more…

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सद्भाव के अग्रदूत – स्वामी महेश्वरानन्द सरस्वती

साम्प्रदायिकता , घृणा एवं कट्टरवाद के घोर विरोधी थे स्वामी जी स्वामी महेश्वरानन्द सरस्वती जी के परलोकगमन के 17 वर्ष पूरे होने वाले हैं | मगर आज भी वे लोगों के दिलों में बसते हैं | आज के युग में बढ़ती साम्प्रदायिकता और कट्टरवाद ने उनकी जीवन शैली और व्यवहारों Read more…

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बढ़ती गरीबी से देश को लगा बैक गियर

हमारे देश में गरीबी के आंकडे बड़े भयावह हैं | इन आंकड़ों की असलियत और सच्चाई पर बार – बार उठनेवाले सवालों के बावजूद देश की गरीबी और बदहाली को छिपाया नहीं जा सका है | सर्वेक्षणों में यह बात नुमायाँ तौर पर सामने आयी है कि 1991 में तत्कालीन Read more…

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मोदी सरकार के तीन साल – जनाकांक्षा की अनुकूलता एवं उत्तम कार्य कुशलता का बेहतरीन नमूना

16 मई 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल पूरे हो चुके हैं। इन तीन सालों में सरकार के कामकाज, नक्सल, बेरोजगारी, बढ़ते अपराध आदि समस्याअों को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ही ट्विटर पर यूजर्स ने मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने मोदी Read more…