कहावत है कि -“खेत खाय गदहा मार खाय जुलाहा ” |  कुछ इसी तरह की घटना विगत दिनों   बुलंदशहर के एक गाँव में पुलिस के साथ हुई है, जिसमें गुनाह किसी ने किया और सजा दूसरे को मिल गयी। इस घिनौनी घटना में एक बेगुनाह पुलिस अधिकारी एवं एक नागरिक की दर्दनांक मौत हो गयी तथा कई लोग घायल हो गये। इतना ही नहीं उत्तेजित भीड़ ने एक पुलिस चौकी को जलाकर राख कर दिया और ज़बरदस्त पथराव किया एवं जबाबी फायरिंग भी की। यह सब इसलिए नहीं हुआ कि पुलिस इसमें दोषी थी, बल्कि पुलिस तो सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची और वापस लौटकर चौकी पर मुक़दमा दर्ज कर अपने कर्तव्यों का पालन कर रही थी। इसी बीच गोकशी की सूचना मिलते ही पास – पड़ोस के गांवों के लोग तीन चार टैक्ट्ररों मेंं भरकर सैकड़ों की तादाद में वहां पहुंच गए और गोकशी के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते हुए रोडजाम कर दिया। कहते हैं कि भीड़ उग्र तब हो गई जब उसे लगा कि पुलिस गोकशी करने वालों को बचाने की कोशिश कर रही है।

घटना से आक्रोशित उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने रोडजाम कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया और हवाई फायरिंग शुरू कर दी | जबाब में भीड़ ने भी पथराव शुरू कर दिया। इस घटना की शुरुआत तब हुई, जब क्षेत्र में आयोजित इत्जिमाअ के अंतिम दिन एक गन्ने के खेत में अधिक संख्या में गोवंश के अंग पड़े पाये गये। लोगों को आशंका थी कि गोवंशों की हत्या इत्जिमाअ के दौरान की गयी है। कहते हैं कि घटना सूचना मिलने पर कोतवाली स्याना अन्तर्गत आने वाली पुलिस चौकी के दरोगा दल – बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को खराब होते  देखकर इत्जिमाअ से वापस लौट रहे वाहनों को किसी अनहोनी से बचने के लिए रास्ते में ही रोक दिया। पुलिस के घटना स्थल से लौटने के बाद चौकी पहुंची भीड़ उग्र होकर अनियंत्रित हो गई और खेत में मिले गोवंश के अवशेषों को लेकर पुलिस चौकी पर  घेराव प्रदर्शन  करते हुए मार्ग को जाम कर दिया ।

पुलिस ने उत्तेेजित भीड़ को पहले समझाने की कोशिश की, लेकिन जब भीड़ उग्र होने लगी तो लाठीचार्ज एवं हवाई फायरिंग करके रोडजाम समाप्त कराने की कोशिश की गई। पुलिस के लाठीचार्ज एवं फायरिंग से नाराज़ उत्तेजित भीड़ ने भी आखिरकार पुलिस पर जबाबी पथराव करते हुए पुलिस चौकी में आग लगा दी, जिससे पुलिस चौकी जलकर राख हो गयी और पुलिस को जान बचाने के लाले पड़ गये। गोकशी किसने की, इसका पता भले ही अब तक नहीं चल सका है, लेकिन इसका खमियाजा बेगुनाह पुलिस एवं नागरिकों दोनों को झेलना पड़ रहा है। इस मामले में 27 लोगों को नामजद तथा 60 अज्ञात लोगों केख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करके क़रीब आधा दर्जन लोगों  को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पोस्टमार्टम के बाद पुलिस अधिकारी एवं युवक की मौत गोली लगने से होने की पुष्टि हुई है।सरकार के कड़े प्रतिबंध के बावजूद गोकशी पर लगाम न लग पाना प्रदेश सरकार एवं पुलिस के लिए शर्म की बात है। अगर प्रशासन सजग होता तो शायद गोकशी करने की हिम्मत जल्दी किसी को नहीं पड़ती, लेकिन प्रशासन की ढिलाई ने एक बार फिर  बेगुनाहों की जान ही नहीं ले ली बल्कि क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करके आपसी सौहार्द को बिगाड़ दिया गया। गोकशी को लेकर लोगों में पैदा आक्रोश स्वाभाविक है, लेकिन इसका मतलब यह क़तई नहीं है कि कानून को अपने हाथ लेकर उसे मज़ाक़ बना दिया जाए ।

हमेशा इस तरह के मौकों पर कुछ अराजक-तत्व भीड़ में घुसकर भीड़ का एक हिस्सा बनकर अराजकता पैदा करने लगते हैं और इस घटना में भी कुछ ऐसे तत्व जरूर शामिल थे जिन्होंने पथराव के साथ – साथ पुलिस पर फायर भी किया, क्योंकि अगर फायरिंग नहीं होती तो पोस्टमार्टम में गोली लगने की पुष्टि नहीं होती। घटना की सूचना मिलते ही सरकार की सक्रियता के चलते हत्या के बाद बिगड़ते माहौल और फैलते साम्प्रदायिक उन्माद को व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के सहारे नियंत्रित कर लिया गया, लेकिन आग आज भी सुलग रही है। मुख्यमंत्री ने अड़तालीस घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करने आदेश दिये हैं तथा घटना में शहीद सब इन्सपेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी को पचास लाख तथा उनके माता पिता को दस लाख रूपये सहायता के रूप में देने की घोषणा की है। इतना ही नहीं इसकी जांच में विभिन्न एजेंसियों के साथ मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए गए हैं।

इस घटना के बाद राजनैतिक माहौल भी गरमा गया है और विपक्षी दलों ने योगीराज को जंगलराज क़रार देते हुए घटना की निंदा करने की शुरुआत कर दी है। जिन असमाजिक तत्वों द्वारा गोकशी करके माहौल बिगाड़ने और सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की, वे  इस घटना के बाद नेपथ्य में चले गये हैं। इस घटना के बाद व्यापक पैमाने पर गोकशी करके माहौल बिगाड़ने वालों की जगह पुलिस इस घटना में शामिल लोगों की तलाश में जुट गयी है। यह तो तय है कि सरकार के लगातार प्रयास के बाद गोकशी न रुकने के पीछेे प्रशासनिक मिलीभगत की बू आ रही है तथा इतने व्यापक पैमाने पर गौकशी एक सोची – समझी रणनीति एवं साजिश के तहत की गई है, जिसका पर्दाफाश होना भविष्य के लिए आवश्यक है। उन तत्वों का पता लगना और उन पर कड़ी कार्रवाई बेहद जरूरी है, जिन्होंने ऐसी घिनौनी हरकत करने का दुस्साहस किया है |

 – भोलानाथ मिश्र

वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी

रामसनेहीघाट, बाराबंकी, यूपी

कृपया टिप्पणी करें