पटियाला [ पंजाब ] की रहनेवाली सुख्यात कवयित्री कीर्ति भटनागर बाल साहित्य की भी सशक्त हस्ताक्षर हैं | उन्होंने अपनी बाल कविता संग्रह ” अच्छे सब बन जाएं मां” मेरे पास समीक्षार्थ भेजी थी। इसे मैंने पढ़ी आद्योपांत। सभी 37 कविताएं बड़े जतन और मनोयोग से लिखी गई हैं। कवयित्री ने मां के ममतामय हृदय और मन की सदाकांक्षा को शब्दों का अत्यंत मनोहारी जामा पहनाया है। इसे एक कविता से सहज रूप से जाना – समझा जा सकता है, जिसमें एक बेटी की मनोव्यथा को इन शब्दों में अभिव्यक्त किया गया है-

मां बोलो क्यों भैया तुझको
मुझसे ज़्यादा प्यारा है ?
नहीं लाडली क्या मैं तेर
वही आँख का तारा है ?
…..
बोलो न मां, उसमें मुझमें
भेदभाव क्यों करती हो?
उसे प्यार से गले लगाती
मुझ पर सदा बरसती हो
आ मुझको भी गले लगा लो
मन से तो अपना लो , मां
प्यार भरे आँचल में अपने
आकर मुझे छिपा लो , मां ।
संगम पब्लिकेशंस, न्यू लीला भवन ,पटियाला, पंजाब से 2016 में छपी यह पुस्तक अपने उद्देश्य में सफल है | बच्चों में नैतिकता फैले , सदाचारी जीवन बने और इस प्रकार सब अच्छे बन जाएं | ‘ सद्गुण सब अपनाएं ‘ शीर्षक से प्रस्तावना में सुकीर्ति जी ने बच्चों को संबोधित करते हुए लिखा है , ‘ बच्चो , यह जीवन तो बहुत सुन्दर है और इसे सही ढंग से जीने के लिए ईश्वर ने हमें बुद्धि और विवेक से अलंकृत किया है , ताकि हम प्रेम , दया, त्याग एवं संयम जैसे नैतिक गुणों को अपना कर हर ओर सुख और शांति का मधुर आलोक फैला सकें | किन्तु हमारे मनों में पनपते ईर्ष्या , द्वेष , घृणा , स्वार्थपरता और अन्य कई प्रकार के अनैतिक भाव हमारे दुखों का कारण बनते हैं | ‘
सुकीर्ति भटनागर पंजाबी में भी लिखती हैं | उनकी बाल साहित्य की लगभग आधा दर्जन  पुस्तकें पंजाबी में प्रकाशित हो चुकी हैं |  हिंदी में कविता और कहानी संग्रह की आधा दर्जन और कई लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं | उनकी कई पुस्तकें भाषा  विभाग , पंजाब सरकार से पुरस्कृत भी हो चुकी हैं | उनके बाल साहित्य पर शोध भी हो चुके हैं | 
उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाइयाँ !  
– Dr RP Srivastava, Editor-in-Chief, Bharatiya Sanvad

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